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20 Jul 2009

यदि आप बाहरी चीजों के प्रति होशवान हैं

कृपया इसे ध्यानपूर्वक सुनें। हम में से बहुत से लोग सोचते हैं कि सजगता, ध्यान कुछ रहस्यमयी चीज है जिसका अभ्यास करना चाहिए और जिसके लिए बार-बार हम इकट्ठे होते और, बातें करते हैं। लेकिन इस तरीके से कभी होशवान नहीं हुआ जाता। लेकिन यदि आप बाहरी चीजों के प्रति होशवान हैं - दूर तक चली गई सड़क के सर्पीले घुमावदार लहराव, वृक्ष का आकार, किसी के पहनावे का रंग, नीले आसमान की पृष्ठ भूमि में किसी पर्वत का रेखाचित्र, किसी फूल का सौन्दर्य, किसी पास से गुजरते व्यक्ति के चेहरे पर दुःखदर्द के चिन्ह, किसी का हमारी परवाह न करना, दूसरों की ईष्र्या, पृथ्वी की सुंदरता..... तब इन सब बाहरी चीजों को बिना किसी आलोचना के, बिना पसंद नापसंद किये, देखना...... इससे आप आंतरिक अंर्तमुखी सजगता की लहर पर भी सवार हो जाते हैं। तब आप अपनी ही प्रतिक्रियाओं, अपनी ही क्षुद्रता, अपने ईष्र्यालुपन के प्रति भी होशवान हो सकते हैं । बाहरी सजगता से आप आंतरिक सजगता की ओर आते हैं। लेकिन यदि आप बाह्य बाहरी के प्रति सजग नहीं होते हैं तो आपका अंातरिक अंर्तमुखी सजगता पर आना असंभवप्राय है।