रखता है, तब हर घटना, हर प्रतिक्रिया अपने ही बारे में जानने, अपनी ही खोज के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है।
इस सबके लिए धैर्यपूर्ण अवधान की आवश्यकता होती है। यह अवधान उस मन का पर्यवेक्षण नहीं होता जो निरंतर संघर्ष, द्वंद्व में, और यह सीखना चाहता है कि कैसे जागरूक रहा जाए।
तब आप जानेंगे कि जागरण के घंटों की तरह ही आपके सोने के घंटे भी महत्वपूर्ण हैं कि तब जीवन एक सम्पूर्ण प्रक्रिया है।
जब तक आप अपने आपको नहीं जानते, भय निरंतर बना रहेगा और अन्य सारे संभ्रम भी जो आपका स्व या ‘मैं’ पैदा करता रहता है।
