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20 Nov 2009

सिद्धियाँ दिये के उजाले की तरह हैं



हम शांति के अजब सौन्दर्य तक पहुंचने के लिए सब तरह की बातें करते हैं। लेकिन करना नहीं है, केवल अवलोकन करना है। देखिये श्रीमन्, इस सब में किसी के विचारों को पढ़ना जैसी कई भेदपूर्ण शक्तियाँ हैं। इनमें बहुत सी शक्तियाँ हैं, आप उन्हें सिद्धियाँ कहते हैं। क्या आप जानते हैं ये सब चीजें दिये के प्रकाश की तरह हैं - जैसे सूर्य के सामने जलता हुआ नन्हा सा दिया। अगर सूर्य नहीं है, तो अंधकार होगा जहां दिये की रोशनी की बहुत जरूरत होगी लेकिन यदि सूर्य है, तो उसका प्रकाश, सौन्दर्य, स्पष्टता तो उस समय इस तरह की शक्तियां दिये के प्रकाश के समान हैं, और इनका दो कौड़ी का मूल्य भी नहीं है। यदि आपके पास प्रकाश है तो कई प्रकार के केन्द्रों के जागरण, चक्रों को जगाने, कुंडलिनी आदि आप सब जानते हैं कि ये सब तरह के धंधे हैं। आपको एक र्निदोष, तर्कपूर्ण, स्‍पष्‍टीकरण, समझने को उत्सुक मन चाहिए न कि इस तरह की बेवकूफियों में रत मन। एक मन जो कि मूढ़ है सदियों तक बैठकर श्‍ंवास पर, विभिन्न चक्रों आदि पर ध्यान केन्द्रित कर सकता है, ये सब कुंडलिनी से खेलने की तरह है लेकिन इन सब से उस कालातीत तक कभी भी नहीं पहुंचा जा सकता, जो कि यथार्थ सौन्दर्य है, सत्य है और प्रेम है।