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24 Oct 2009

सीखा तभी जा सकता है जब हम अनुभव से मुक्त हों।


अनुभवों से कभी भी नहीं सीखा जा सकता। सीखने के लिए चाहिए आजादी, उत्सुकता, जिज्ञासा। जब एक बच्चा कुछ सीखता है, तब वह उस बारे में उत्सुक होता है, वह जानना चाहता है, वह स्वतंत्र संवेग होता है ना कि किसी चीज को पकड़ने, उस पर काबिज होने की प्रक्रिया और उससे आगे बढ़ना।
हमारे पास अनन्त अनुभव होते हैं और मानव सभ्यता के पाँच हजार सालों से हम युद्धों के अनुभव ही तो इकट्ठे कर रहे हैं। हमने इनसे एक भी चीज नहीं सीखी सिवा इसके कि हमने एक दूसरे को मारने की और भी अत्याधुनिक मशीनरी खोज ली है।
यहाँ तक कि सीखा तभी जा सकता है जब हम अनुभव से मुक्त हों।