मुझे नहीं मालूम, अगर आपने कभी इस बात पर गौर किया है या नहीं कि,किसी समस्या को जितना ज्यादा आप समझने की कोशिश करते हैं, जूझते हैं बूझते हैं... समस्या को समझने में आपको उतनी ही मुश्किल आयेगी। लेकिन जिस पल आप संघर्ष करना बंद करते हैं और उस समस्या को अपनी सारी कहानी सुनाने का मौका देते हैं, अपनी सारी हकीकत बयान करने देते हैं - तब बात समझ में आ जाती है। इससे हम यह स्पष्ट ही जान सकते हैं कि किसी बात को समझने के लिए आपके मन का चुप होना बहुत जरूरी है। मन का बिना हां ना किये, निष्क्रिय रूप से जागरूक, सजग रहना जरूरी है इस स्थिति में ही हममे जीवन की कई समस्याओं की समझ आती है।
लंदन 23 अक्टूबर 1949
लंदन 23 अक्टूबर 1949