लोग अक्सर से पूछते हैं - मौत के बाद क्या होगा? लेकिन कोई यह नहीं पूछता कि मौत के पहले क्या होगा? कोई यह क्यों नहीं देखता कि अभी उसकी जिन्दगी में क्या हो रहा है? आपकी जिन्दगी क्या है? काम, ऑफिस, पैसा, पीड़ा, प्रयास, सफलता से चिपके रहना, लेकिन क्या यही सब जिन्दगी है? हाँ, आपका जीवन तो यही कहता है। किन्तु मौत इन सब पर विराम लगा देती है।
तो क्या जीते जी... मौत से पूर्व ही यह संभव है कि हम ये सब स्वयं ही खत्म कर दें - जुड़ाव या मोह, अपने विश्वास-अंधविश्वास खत्म कर दें। किसी चीज को स्वेच्छा से, बिना किसी उद्देश्य से, बिना किसी खुशी से करना - क्या आप ऐसा कर सकते हैं? क्योंकि ऐसा करके ही किसी चीज के स्वेच्छा से खत्म हो जाने की सुन्दरता देखी जा सकती है।
और इस खात्मे, इस समाप्ति के बाद ही नई शुरूआत है। यदि आप स्वयं ही ये सब खत्म करते हैं, तो द्वार खुलते हैं, लेकिन आप अपना सांसारिक मायाजाल खत्म करने से पहले ही चाहते हैं कि कोई दरवाजे आपके लिए खुल जायें। आप कभी भी उस कुचक्र को खत्म नहीं करते जिसमें आप हैं, आप अपने उद्देश्यों लक्ष्यों को कभी भी खत्म नहीं करते।
ऐसा जीवन जिएं जिसमें अन्र्तमुखी समापन हो, यही मृत्यु की समझ लाता है।