31 Jul 2009
इस बीच कोई भी अंतराल नहीं... दूरी नहीं - आरंभ और अंत एक ही हैं
अंर्तवलोकन, खुद को देखना आत्मोन्नति (खुद को सुधारने की कोशिश) का एक प्रकार है। यह आत्मप्रसार कभी भी सत्य तक नहीं पहुँचाता क्योंकि यह स्वयं को आबद्ध करने वाली एक प्रक्रिया है। जबकि जागरूकता वह दशा है जहां सत्य अस्तित्व में आता है, ‘जो है’ वह सत्य रूप में। रोजमर्रा के जीवन के सामान्य सच। जब हम रोजमर्रा के सामान्य सत्यों को समझने लगते हैं तभी हम उनके पार जा सकते हैं। आपको कहीं जाना है तो आप ‘जहाँ हैं’ वही से शुरूआत करनी होगी। लेकिन हम में से बहुत से लोग छलांग लगाना चाहते हैं। जो पास है, निकट ही है उसको बिना जाने समझे, हम दूर की बातें जानना समझना चाहते हैं। जब हम जो पास ही है निपट निकट ही है उसे समझ लेते हैं, तब हमें पता चलता है कि पास और दूर कोई अंतराल है ही नहीं। उनमें कोई अंतरात या दूरी है ही नहीं शुरूआत और अंत एक ही हैं।