अज्ञात, ज्ञात द्वारा अमापनीय है। समय, समयातीत को नहीं माप सकता। उस सनातन, अपरिमित को जिसका आदि और अंत नहीं है। पर हमारा मन कल, आज और कल की मापन इकाई (गज) से बंधा हुआ है और इस गज से हम अज्ञात को जानने में लगे हैं, उस चीज को मापने की कोशिश कर रहे हैं जो अपरिमित है अमापनीय है। और जब हम किसी अपरिमित को मापने को कोशिश करते हैं तो सिवा शब्दों के हमारे हाथ कुछ नहीं आता।